CDCC Bank | चंद्रपुर जिला सहकारी बैंक चुनाव में उठा-पटक शुरू — 900 मतदाताओं की अंतिम सूची जारी, कई दिग्गजों ने कसी कमर, एक पूर्व संचालक सुप्रीम कोर्ट की शरण में
The Chandrapur District Co-Operative Bank election 2025 sees rising political drama with 900 voters in the final list. Top leaders gear up for the polls, while a former director takes the legal battle to the Supreme Court.
चंद्रपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक (CDCC Bank) की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित चुनाव प्रक्रिया ने अब जोर पकड़ लिया है। गुरुवार देर शाम 900 मतदाताओं की अंतिम सूची बैंक प्रशासन द्वारा जारी कर दी गई। इस सूची ने जिले की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि इसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं।
राजनीतिक घमासान तेज, दिग्गज मैदान में
अंतिम सूची के अनुसार, कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के कद्दावर नेता अब चुनावी रण में उतरने की तैयारी में हैं। खास बात यह है कि इस बार परंपरागत रूप से पदाधिकारियों को मौका देने की बजाय खुद सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री भी संचालक पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं।
कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार, चंद्रपुर की सांसद प्रतिभा धानोरकर, भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार, जैसे नाम मतदाता सूची में मजबूती से दर्ज हैं, जो सीधे तौर पर चुनावी मुकाबले को हाई प्रोफाइल बना रहे हैं।
पूर्व संचालक सुभाष रघाताटे की अनुपस्थिति और कानूनी लड़ाई
हालांकि, इस सियासी रोमांच के बीच एक बड़ा झटका तब लगा जब बैंक के पूर्व संचालक सुभाष रघाताटे का नाम अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को लेकर कानूनी पेच भी गहराता नजर आ रहा है।
भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर, भीतरघात के संकेत
सूची में कांग्रेस और भाजपा दोनों से जुड़े बड़े नेताओं के नाम हैं। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय डोंगरे, सुदर्शन निमकर, वसंत विधाते, रामनाथ कालसर्पे, और किशोर जोरगेवार शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस खेमे से विजय वडेट्टीवार, प्रतिभा धानोरकर, सतीश वारजूरकर, डॉ. रजनी हजारे, प्रफुल्ल खापर्डे जैसे नाम प्रमुखता से सामने आए हैं।
राजनीतिक समीकरण बदलते हुए
इस चुनाव में खास बात यह है कि कई ऐसे नेता जो पहले एक दल में थे, अब दूसरे दल में सक्रिय हैं। जैसे कि प्रकाश देवतळे, जो कांग्रेस से भाजपा में आए, उन्होंने भी दावेदारी पेश की है। इससे संभावित भीतरघात और गुटबाज़ी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
बैंक संचालक बनने की दौड़ में व्यापारी, अधिवक्ता और पूर्व जनप्रतिनिधि
इस सूची में न केवल राजनेता बल्कि व्यापारिक और सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े प्रभावशाली चेहरे भी शामिल हैं। जैसे कि अधिवक्ता वासुदेव खेळकर, कन्यका बैंक अध्यक्ष डॉ. विजय आईंचवार, बाजार समिति के पूर्व सभापति दिनेश चोखारे, और कई अन्य नाम जो बैंकिंग अनुभव और प्रभावशाली सामाजिक पहचान रखते हैं।
बल्लारपूर से लेकर वरोरा तक का प्रतिनिधित्व
बल्लारपूर से प्रशांत कोलप्याकवार, सिंदेवाही से प्रकाश बनसोड, राजुरा से आशुतोष चटप और अरुण धोटे, वरोरा से प्रकाश मुथा, कोरपना से विजय बावणे और चंद्रपुर से विधायक किशोर जोरगेवार, शोभा फडणवीस, चंद्रकांत गोहोकार जैसे नामों ने चुनाव को पूरे जिले का प्रतिनिधित्व देनेवाला बना दिया है।
बैंक का चुनाव या सत्ता की नई लड़ाई?
जिला सहकारी बैंक का चुनाव अब सिर्फ आर्थिक संस्था का प्रबंधन चुनने की प्रक्रिया नहीं रह गया है, यह राजनीतिक प्रतिष्ठा की जंग बन चुकी है। जिस प्रकार विधायक, सांसद और पूर्व मंत्री स्वयं चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, उससे यह साफ है कि इस बैंक की सत्ता पर कब्जा पाने के लिए बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। इससे साफ संकेत मिलता है कि यह चुनाव अब सीधे तौर पर आगामी स्थानीय और विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने का माध्यम बन गया है।
900 मतदाताओं की अंतिम सूची के साथ चुनावी रणभूमि सज चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका से जहां हल्की कानूनी बाधा आ सकती है, वहीं नेताओं की भागीदारी से यह चुनाव एक हाई-वोल्टेज राजनीतिक मुकाबला बनने जा रहा है। आने वाले दिन निश्चित ही और भी ज्यादा दिलचस्प और रणनीतिक होंगे। चंद्रपुर की जनता की निगाहें अब इस सहकारी चुनाव पर टिक गई हैं, जो जिले की सियासत की दिशा तय कर सकता है।