MLA Sudhakar Adbale submitted a memorandum to the Education Minister, demanding the immediate withdrawal of an unjust policy affecting teachers. Read more about the political action and its implications for the education sector.

हाराष्ट्र सरकार द्वारा 15 मार्च 2024 को जारी किए गए एक विवादास्पद शासनादेश के खिलाफ विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ ने आंदोलन छेड़ा है। इस आदेश के तहत, राज्य की अनेक स्कूलों को "शून्य शिक्षक" (Zero Teacher) की मंजूरी दी गई है, जिससे छात्रों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। इस निर्णय को "अन्यायपूर्ण" बताते हुए संघ ने धरना-प्रदर्शन किया और इसे तुरंत रद्द करने की मांग की।  

प्रमुख मांगें

1. 15 मार्च 2024 का शासनादेश रद्द किया जाए।  

2. 28 अगस्त 2015 के नियमों के आधार पर शिक्षक संचमान्यता (सैन्शन) दी जाए।  

3. शून्य शिक्षक वाली स्कूलों की स्थिति सुधारी जाए।  

आंदोलन की पृष्ठभूमि  

-विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) के कार्यालय के सामने एक दिवसीय धरना दिया।  

- विधायक सुधाकर अडबाले ने शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर और प्रधान सचिव रणजीत देओल से मुलाकात कर मामले की गंभीरता समझाई।  

- संघ का आरोप है कि नए निर्णय से ग्रामीण और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को नुकसान हो रहा है।  

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया  

- विधायक अडबाले द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई कि 2015 के नियमों को फिर से लागू किया जाए।  

- मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द निर्णय का आश्वासन दिया।  

आगे की कार्रवाई  

यदि सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो शिक्षक संगठन *बड़े पैमाने पर आंदोलन* करने की चेतावनी दे चुके हैं।  

विश्लेषण: क्यों है यह मुद्दा महत्वपूर्ण?  


शिक्षा व्यवस्था पर संकट – शून्य शिक्षक वाली स्कूलों में पढ़ाई बाधित होगी, जिससे ग्रामीण छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।  
रोजगार पर खतरा – नए नियमों से शिक्षकों के पदों में कटौती का डर है।  
राजनीतिक प्रभाव – विधायक अडबाले का आंदोलन में शामिल होना इसे राजनीतिक रंग दे सकता है।