घुग्घुस में गरमाया जमीन अतिक्रमण विवाद : 40 साल बाद प्रशासन की लाठी, अंबेडकर नगर पर बुलडोज़र की तलवार!
The administration in Ghugus Ambedkar Nagar has issued eviction notices to over 450 families, challenging the legitimacy of settlements rehabilitated 40 years ago. A major move sparking debate over resettlement policies and legal rights.
चार दशकों पूर्व वेकोलि द्वारा एक नंबर स्थित भूमिगत कोयला खदान बंद होने के बाद खुले खदान के विस्तार हेतु, क्षेत्र के मालकशाही जमाने से रह रहे अनेक परिवारों को पुनर्वासित कर शास्त्री नगर परिसर में बसाया गया था, जिसे आज अंबेडकर नगर के नाम से जाना जाता है। अब इन बस्तियों पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
1985 में किया गया था पुनर्वास, आज बताया जा रहा अतिक्रमण!
वर्ष 1985 में वेकोलि प्रबंधन ने घुग्घुस में खुली खदान के विस्तार के लिए पुनर्वास की प्रक्रिया अपनाई थी। उस समय अग्रवाल और सोहीन जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में न सिर्फ कंपनी के कर्मचारियों, बल्कि खदानों से जुड़ी निजी सेवाओं में लगे अन्य परिवारों को भी नई जगह देकर बसाया गया था।
लेकिन अब, चार दशक बाद, इन परिवारों को चौंकाने वाला नोटिस मिला है। तहसील कार्यालय चंद्रपुर और पटवारी कार्यालय द्वारा जारी इस नोटिस में सर्वे क्रमांक 0 की 264 वर्ग मीटर/वर्ग फुट सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की बात कही गई है। नोटिस में 7 दिनों के भीतर स्वयं अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं, अन्यथा प्रशासन द्वारा बलपूर्वक हटाने की चेतावनी दी गई है।
सैंकड़ों घरों पर संकट, निवासियों में हड़कंप
नोटिस मिलने के बाद अमराई वार्ड एवं अंबेडकर नगर के लगभग 450 से अधिक परिवारों में भय और आक्रोश का माहौल है। इन परिवारों का कहना है कि वे दशकों से यहां वैध रूप से रह रहे हैं और आज अचानक उन्हें "अवैध कब्जाधारी" बताया जा रहा है।
प्रशासन द्वारा 29 मई को सुबह 11 बजे तहसील कार्यालय में दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने को कहा गया है। अनुपस्थित रहने पर महाराष्ट्र भूमि राजस्व अधिनियम, 1966 की धारा 50 के अंतर्गत कार्रवाई की बात भी नोटिस में स्पष्ट रूप से लिखी गई है।
चुनाव पूर्व राजनीतिक गलियारों में हलचल
उल्लेखनीय है कि आने वाले महीनों में नगर परिषद के चुनाव होने हैं और ऐसे समय में इस नोटिस से राजनीतिक हलकों में भी हलचल बढ़ गई है। प्रभावित परिवारों ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
इस बीच, क्षेत्रीय विधायक किशोर जोरगेवार के मार्गदर्शन में, भाजपा नेता संजय तिवारी की अगुवाई में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें युवा नेता इमरान खान, सूरज मोरपाका और गुरुदास तग्रप ने भी हिस्सा लिया। अंबेडकर नगर के दर्जनों पीड़ित परिवारों के साथ हुई इस बैठक में आश्वासन दिया गया कि वे उनके साथ खड़े हैं।
"चार दशकों से बसे इन परिवारों पर कोई आंच नहीं आने देंगे" – संजय तिवारी
बैठक में संजय तिवारी ने कहा, “यह केवल अंबेडकर नगर नहीं, इंसाफ और मानवता का सवाल है। जो लोग 40 साल से यहां बसे हैं, वे किसी सूरत में अतिक्रमणकारी नहीं कहे जा सकते। हम इस मुद्दे को विधायक किशोर जोरगेवार तक पहुंचाएंगे और न्याय दिलाकर रहेंगे।”
यह मामला अब केवल भूमि विवाद नहीं, बल्कि मानवीय और सामाजिक न्याय का प्रश्न बन चुका है। दशकों पहले जिन परिवारों को खुद वेकोलि प्रबंधन ने पुनर्वासित किया, आज उन्हें अचानक ‘अतिक्रमणकारी’ कहना न केवल अन्याय है, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रमाण भी। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है, खासकर जब नगर परिषद चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक दलों की साख दांव पर है।
अब देखना होगा कि यह संघर्ष न्याय की ओर मोड़ लेता है या फिर सियासत की भेंट चढ़ जाता है!