A grand Tiranga Yatra was held in Ghugus to celebrate the success of Operation Sindoor, paying tribute to the unmatched valor of the Indian Army.

भारतीय सेना द्वारा सफलतापूर्वक अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गौरवगाथा को नमन करते हुए, चंद्रपुर जिले के घुग्घुस नगर में एक भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा ‘सिटिज़न्स फॉर नेशनल सिक्योरिटी’ पहल के अंतर्गत, स्थानीय विधायक किशोर जोरगेवार के संयोजन में संपन्न हुई।

देशभक्ति के रंग में रंगा घुग्घुस

तिरंगा यात्रा की शुरुआत गांधी चौक से हुई, जहाँ से यह यात्रा पूरे नगर में घूमते हुए पुनः गांधी चौक पर आकर समाप्त हुई। यात्रा के दौरान नगर देशभक्ति के रंग में पूरी तरह रंग गया। “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम्” जैसे नारों से माहौल गूंज उठा।

यात्रा में सैकड़ों नागरिक, स्कूली विद्यार्थी, महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक, सामाजिक संगठन और स्थानीय कार्यकर्ता शामिल हुए। हर हाथ में तिरंगा, हर दिल में गर्व और उत्साह झलक रहा था। ढोल-ताशों की गूंज, देशभक्ति गीतों की ध्वनि और तिरंगे से सजे रास्तों ने घुग्घुस को मानो राष्ट्रप्रेम के रंग में डुबो दिया।

एकजुटता का प्रतीक बना कार्यक्रम

कार्यक्रम का समापन गांधी चौक पर हुआ, जहाँ विधायक किशोर जोरगेवार ने उपस्थित नागरिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में हमारे जवानों ने जो शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति दिखाई है, उस पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। इस तिरंगा यात्रा के माध्यम से हम सभी एकजुट होकर उनके प्रति सम्मान प्रकट कर रहे हैं।”

उन्होंने नागरिकों से यह भी आग्रह किया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से युवा पीढ़ी को सेना के त्याग और बलिदान से परिचित कराना समय की आवश्यकता है।

सभी धर्मों और समुदायों की भागीदारी

इस तिरंगा यात्रा की एक खास बात यह रही कि इसमें सभी धर्मों के धार्मिक गुरुओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने सहभागिता दर्ज कराकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया।

प्रमुख उपस्थिति

इस अवसर पर कई गणमान्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे, जिनमें शामिल थे:
आशिष माशीरकर, नीतू चौधरी, निरीक्षण तांड्रा, राजकुमार गोडशेलवार, संतोष नुने, संजय तिवारी, विनोद चौधरी, साजन गोहाणे, सीनु ईसारप, पूजा दुर्गम, सुचिता लुटे, वैशाली ढवस, नंदा कांबळे, हसन शेख, मल्लेश बल्ला, श्याम आगदारी, अनिल बाम, इमरान खान, स्वप्निल वाढई, मुन्ना लोडे, उषा आगदारी, सुरेखा तोडासे, संध्या जगताप आदि।

यह तिरंगा यात्रा केवल एक रैली नहीं थी, बल्कि यह उस राष्ट्रीय एकता, सामूहिक गौरव और सैन्य बलिदान के प्रति सम्मान का प्रतीक बनी, जो हर नागरिक के भीतर छिपा होता है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों की सफलता केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना को भी जागृत करती है – और घुग्घुस की यह तिरंगा यात्रा उसी जागरण का जीवंत उदाहरण रही।