Chandrapur Crime | युवती से सामूहिक दुष्कर्म की सनसनीखेज वारदात, दो आरोपी गिरफ्तार, एक फरार
A horrifying gang rape case has surfaced in Chimur, Maharashtra. Two suspects have been arrested while one remains absconding. Police investigation is underway, sparking public outrage and demand for justice.
चंद्रपुर जिले के चिमूर शहर से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात सामने आई है, जहां एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इस जघन्य अपराध में तीन आरोपियों में से दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक फरार आरोपी की तलाश जारी है। यह घटना न केवल स्थानीय जनमानस को झकझोरने वाली है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल भी खड़े कर रही है।
घटना की भयावह पड़ताल:
घटना चिमूर शहर की है, जहां एक युवती अपने नानी के घर पैदल जा रही थी। इसी दौरान आरोपी प्रतीक सुनील साठोणे (26 वर्ष) ने उसे मदद की पेशकश करते हुए कहा कि वह उसे नानी के घर छोड़ देगा। युवती जब उसकी मोटरसाइकिल पर सवार हुई, तो प्रतीक ने उसे नानी के घर न ले जाकर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर तळोधी नाईक गांव के जंगल क्षेत्र में स्थित एक झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।
इस अमानवीय कृत्य के बाद, प्रतीक ने अपने दो अन्य साथियों—विक्की उर्फ विक्रांत खुशाल साठोणे (29 वर्ष) और अंकित संजय काकडे (31 वर्ष)—को भी बुला लिया, जिन्होंने भी बारी-बारी से पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपियों ने पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी और घटना की जानकारी किसी को देने से मना किया।
पुलिस ने दिखाई तत्परता:
20 मई (सोमवार) को पीड़िता ने साहस दिखाते हुए चिमूर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रतीक साठोणे और विक्रांत साठोणे को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीसरा आरोपी अंकित काकडे अभी भी फरार है। पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है।
इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 70 (1), 351 (2) और 3 (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच सहायक पुलिस निरीक्षक दीप्ती मरकाम कर रही हैं, जिनका मार्गदर्शन पुलिस निरीक्षक संतोष बाकल कर रहे हैं।
सवालों के घेरे में सुरक्षा तंत्र:
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। आरोपी पीड़िता को झांसा देकर एक सुनसान जगह ले गया और फिर उसके साथ घिनौनी हरकत की गई। सवाल यह है कि आखिर ऐसे दरिंदों के मन में कानून का डर क्यों नहीं है?
स्थानीय प्रशासन और समाज से अपेक्षा:
अब यह आवश्यक हो गया है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन न केवल फरार आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार करे, बल्कि पीड़िता को न्याय दिलाने में पूरी तत्परता दिखाए। साथ ही समाज में भी यह संदेश जाना चाहिए कि ऐसे अपराध किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
चिमूर की यह घटना महिलाओं की सुरक्षा पर गहरा प्रश्नचिन्ह है। यह एक चेतावनी भी है कि जब तक समाज और कानून व्यवस्था मिलकर ऐसे अपराधियों को सख्त सजा नहीं देंगे, तब तक ऐसी वारदातें रुकने की उम्मीद कम ही है।
न्याय की इस लड़ाई में पीड़िता की हिम्मत काबिल-ए-तारीफ है, और अब बारी प्रशासन की है कि वह उसे शीघ्र न्याय दिलाकर समाज में एक मजबूत संदेश दे।