प्रेयसी के सामने युवक ने की आत्महत्या: प्रेम में तनाव बना जानलेवा, नीम के पेड़ से लटककर दी जान
A tragic incident occurred when a young man ended his life by hanging himself from a neem tree in front of his girlfriend. Love-related stress is believed to be the cause. Read full details here.
चंद्रपुर जिले के चिमूर तालुका में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहाँ एक युवक ने अपनी प्रेयसी के सामने ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह दर्दनाक घटना चिमूर-नेरी मार्ग पर स्थित भूमि एम्पायर के एक ले-आउट क्षेत्र में 20 मई की शाम लगभग 7 बजे घटी।
क्या है पूरी घटना?
मृतक युवक की पहचान उमरेड तालुका के पिंडकेपार गांव निवासी प्रीतम यशवंत वाकड़े (25 वर्ष) के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक, प्रीतम की प्रेमिका का राष्ट्रसंत तुकडोजी महाविद्यालय में एम.ए. की परीक्षा थी, जिसके लिए वह चिमूर आई थी। यह जानकारी मिलते ही प्रीतम भी उससे मिलने चिमूर पहुँच गया।
परीक्षा समाप्त होने के बाद दोनों भूमि एम्पायर स्थित ले-आउट क्षेत्र में पहुँचे, जहाँ उन्होंने भविष्य में शादी को लेकर चर्चा की। इसी दौरान किसी बात को लेकर दोनों में बहस हो गई। बहस इतनी गंभीर हो गई कि प्रीतम ने गुस्से में कहा, “अब मैं फांसी लगाकर जान दे दूंगा।” और उसने पास ही खड़े नीम के पेड़ पर अपने सफेद शॉल (शेला) से फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।
प्रेयसी की आँखों के सामने हुई घटना
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह पूरी घटना प्रेयसी की आँखों के सामने हुई। उसने रोते हुए यह पूरी जानकारी प्रीतम के परिवार को दी। इसके बाद तुरंत चिमूर पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संतोष बाकल, सहायक पुलिस निरीक्षक निशांत फुलेकर और विलास निमगडे मौके पर पहुँचे। घटनास्थल पर पंचनामा किया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए उपजिला रुग्णालय भेजा गया। 21 मई को पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
सामाजिक चिंता
पुलिस इस मामले को प्रेम-संबंधों में तनाव से जुड़ा आत्महत्या का मामला मान रही है। हालांकि, अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस आगे की जांच कर रही है।
युवाओं में बढ़ता मानसिक दबाव
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आज की युवा पीढ़ी भावनात्मक तनाव को संभालने में क्यों असमर्थ होती जा रही है। प्यार, असफलताएँ और रिश्तों की उलझनें आज युवाओं को इस हद तक मानसिक दबाव में ला रही हैं कि वे अपने जीवन को समाप्त करने जैसा बड़ा कदम उठा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि समाज को अब यह समझना होगा कि भावनात्मक शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उतनी ही जरूरी है जितनी शैक्षणिक योग्यता।